अति पवित्र स्थली हरिद्वार में गंगा घाट के किनारे ब्रह्मचारी श्री देवेन्द्र स्वरूप जी महाराज ने भीमगोड़ा में, सन् 1972 में भूमि खरीदी। आदिगुरू ब्रह्मचारी श्री जयराम जी महाराज की पुण्य-स्मृति में इस भूमि पर एक विशाल भवन के निर्माण का कार्य सन् 1974 में आरम्भ किया गया। बारह वर्ष के अथक परिश्रम के परिणामस्वरूप 1986 में यह भवन बनकर तैयार हुआ । जनसेवा तथा आधुनिक सुख-सुविधा से युक्त इस आश्रम ने अल्पकाल में ही आशातीत प्रसिद्धि प्राप्त कर ली।
परम पूज्य ब्रह्मचारी श्री देवेन्द्र स्वरूप जी महाराज ने जन कल्याण हेतु इस भवन के साथ-साथ धर्मार्थ चिकित्सालय, अन्न भंडार तथा पुस्तकालय आदि भी स्थापित किये है।
श्री जयराम आश्रम, हरिद्वार में अति सुन्दर, अति आधुनिक स्वचालित झांकियों का बड़ा ही सजीव चित्रण किया गया है। मुख्यद्वार के सामने मंदिर व सागर-मथंन की विशाल कलाकृति तो अवर्णनीय है। रात के समय विभिन्न रंगीन रोशनियों के बीच फव्वारे के चलने पर तो इसकी छवि देखते ही बनती है। इन सबके दर्शनार्थ प्रतिदिन यात्रियों का तांता लगा रहता है।
आश्रम में कुल 512 कमरे है, जिनमें तीर्थ यात्रियों को समुचित आवास व्यवस्था प्रदान की जाती हैं। एक धर्मार्थ चिकित्सालय है, जिसमें गरीबों व यात्रियों को नि:शुल्क चिकित्सा प्रदान की जाती है, नि:शुल्क दवाई दी जाती है। समय पर चिकित्सालय में नि:शुल्क आई-कैम्प लगाये जाते हैं, जिनमें गरीबों व असहायों की आंखो का मुफ्त ऑपरेशन किया जाता है। उन्हें नि:शुल्क चश्में प्रदान किये जाते हैं। इस प्रकार श्री जयराम आश्रम, हरिद्वार ने अल्पकाल में ही आशातीत प्रसिद्धि प्राप्त कर ली है।
पूज्यपाद ब्रह्मीभूत श्री गंगास्वरूप ब्रह्मचारी जी महाराज के दो शिष्य श्री देवेन्द्र स्वरूप जी बह्मचारी जी महाराज एवं स्वामी नारायण स्वरूप ब्रह्मचारी जी महाराज हुए।
पूज्यपाद श्री न।रायण स्वरूप ब्रहमचारी जी महाराज जिनका जन्म जिला-जींद, हरियाणा में हुआ था और जो अपने बाल्यकाल से ही कुशाग्र बुद्धि सम्पन्न थे। आजीवन संस्कृत के विद्वानों, संतों तथा समाज के प्रत्येक वर्ग की सेवा का प्रयत्न करते रहे। इलाहाबाद कुंभ मेले फल्गुमेले, हरिद्वार में समय-समय पर होने वाले मेलों में इन्होने हमेशा ही तीर्थ-यात्रियों की निष्काम भाव से सेवा की ।
पूज्य श्री नारायण स्वरूप ब्रहमचारी जी महाराज ने धर्म प्रचार हेतु संस्कृत विद्यालय एवं दो आश्रम- श्री जयराम निवास एवं मणिद्वीप-स्थापित किये, जिनमें यात्रियों को समुचित आवास व्यवस्था प्रदान की जाती है।
हरिद्वार आश्रम की भावी योजनाएँ :-
दीर्घावधि से ऋषिकेश मे आधुनिक शिक्षा तथा भारतीय संस्कृति से समन्वित शिक्षा केन्द्र की आवश्यकता अनुभव की जा रही थी। पूज्य श्री देवेन्द्रस्वरूप ब्रह्मचारी जी का स्वप्न था कि वैदिक एवं आधुनिक शिक्षा से समन्वित एक विद्यालय ऋषिकेश में बनाया जाय। परन्तु अस्वस्थ होने के कारण वे अपने स्वप्न को अपने जीवनकाल में मूर्त न कर पाये, उनके योग्य शिष्य ब्रह्मचारी ब्रह्मस्वरूप जी द्वारा उसे मूर्त रूप दिया गया।
ऋषिकेश से 5 किलोमीटर दूर ऋषिकेश-हरिद्वार बाईपास पर जयराम उद्यान के निकट शिवालिक पर्वतमाला के मध्य पतित पावनी माँ गंगा की गोद, आम्रकुंजों ओर ललीतागुल्मों से ढके प्राकृतिक सुषमा से युक्त भू-क्षेत्र में देवेन्द्र स्वरूप ब्रह्मचारी इण्टरनेशल पब्लिक स्कूल का निर्माण हो गया है। शान्तिमय वातावरण में नगर की अव्यवस्थाओं से दूर, नैसर्गिक सौंदर्य से भरपूर , सुरम्य वातावरण से शरीर, मन और मस्तिष्क आह्लादित हो जाते है। विद्या देवी स्वयं मार्ग प्रशस्त करती हुई प्रतीत होती है।