श्री जयराम आश्रम भीमगोड़ा,हरिद्वार . 249401ए उत्तराखंडए भारत

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श्री जयराम पंचायती गौशाला बेरी (जिला रोहतक)

बेरी गौशाला का इतिहास श्री जयराम अन्नक्षेत्र ऋषिकेश की भांति एक शताब्दी से भी अधिक पुराना है। महाराज श्री जयराम ब्रहमचारी जी ने इस गांव में कठोर तपस्या की तथा महान यज्ञ किया तथा कई भण्डारे किये। गोमाता की दुर्दशा देखकर उन्होने गौशाला स्थापना के लिए लोगों को प्रेरित किया। परन्तु कृपण बृद्धि लोगों ने अनसुनी कर दी। बेरी गांव में सभी कूंए आज तक खारे है। जिस कूप का जल महात्मा श्री जयराम जी ने स्वयं मंगाकर पीया था बस वह मीठा हो गया। इस चमत्कार व सिद्धि को देखकर लोग चकित हो गये और सिद्ध पुरूष के चरणों में गिरकर क्षमा याचना की तथा पश्चाताप किया। फलस्वरूप एक पंचायती गौशाला की स्थापना की गयी जिसमें 300 से 500 तक असहाय गौओं की देखभाल आज भी हो रही है। देखभाल के लिए स्थानीय कमेटी का गठन किया गया है।

श्री देवेन्द्र स्वरूप ब्रहमचारी जी की प्रेरणा से गौशाला में नई बैरेके बनवा दी गयी। टयूबवैल लग गया तथा गांवों से भूसा एकत्रित करने के लिए टैक्टर-ट्राली खरीदे गये। तूड़ी के रखरखाव के लिए नई विशाल बैरेके, गौओं के लिए आधुनिक हवादार शैड बनवाये गये तथा पानी पीने की उत्तम व्यवस्था की गयी।

उनके एक मात्र उत्तराधिकारी शिष्य श्री ब्रहमस्वरूप ब्रहमचारी जी ने इधर विशेष ध्यान दिया है, कमेटी की अध्यक्षता कर उन्होंने नये-नये सुझाव दिये। इस गांव के सभी लोगो में नई चेतना भर दी। गोमाता के प्रति आदर-प्यार ओर इलाके में अपनत्व की भावना से श्री जयराम गौशाला, बेरी फल-फूल रही है। बेरी के सेठ कलकत्ता आदि से दान भेजते हैं तथा इलाके के जमींदार तूड़ी तथा अन्नादान से गोमाता की सेवा निष्ठा से कर रहे है।