बेरी गौशाला की गऊओ के लिए ग्रीष्म ऋतु में चारे तथा पीने के पानी का अभाव हो जाता था। बेरी तथा आसपास के सभी गांवों के तालाब तथा जोहडों का पानी भी सूख जाता था। टयूबवैल जैसे साधन तो उस समय थे नहीं बिजली भी नहीं थी। इतनी गौओं को कूएं से खींच कर पानी पिलाना भी मुश्किल था। गर्मी में कूओं का पानी भी सूख जाता था या नीचे चला जाता था।
अत: ब्रहमचारी श्री जयराम जी ने युक्ति सुझाई कि सभी गौओं को गर्मी के दिनों में जमुना नदी के किनारे खादर में ले जाया जाये, जंहा खादर के जंगल में गौए चरेगी भी तथा जमुनाजल से अपनी प्यास भी बुझा सकेगी। दो मास तक बेरी गौशाल की सभी गऊएं जाखोली (जिला सोनीपत) के आस-पास चरने के लिए लायी जाती थी। ब्रहमचारी जी स्वयं उनको देखने जाते। चरवाहों के भोजन की व्यवस्था कराते उन्हें वेतन तथा खर्चा भी देते।
ब्रहमचारी जी ने वहां रहकर देखा कि उत्तर प्रदेश के कसाई चोरी- दिपे बुचड़खानों में वध के लिए हरियाणा से प्रतिदिन यू-पी- में गौओं को ले जा रहे हैं। श्री जयराम जी ने आस-पास के राजपूतों तथा बनियों को इकट्ठा किया तथा प्रताड़ना कर लज्जित किया और निर्णय लिया कि कसाईयों से गौओं को छीन लो, पुलिस ने भी सहयोग दिया परन्तु सवाल था कि इतनी गौएं कहां रखी जायें। अत: श्री जयराम ब्रहमचारी जी ने वहां गौशाला की स्थापना की। तभी से यह गौशाला निरन्तर समीपवर्ती गांवों के सहयोग से चल रही है।
हरियाणा के मुख्यमंत्री चौ0भजनलाल जी को वहा ले जाकर ब्रहमचारी देवेन्द्र स्वरूप जी ने गौशाला को अनुदान दिलाया और नई बैरेकें भी बनवायी।। ब्रहमचारी जी के प्रति श्रद्धा एवं आस्थावना सोनीपत के उपायुक्त माननीय श्री कंवर आर-पी- सिंह, आई-ए-एस- की प्रेरणा से जाखोली ग्राम पंचायत ने 60 बीघा गौचरांद भूमि गौशाला के नाम कर दी, जिस पर गौओं के लिए हरा चारा उगाया जाता है और पानी के लिए टयूबवैल भी लगवा दिया गया।
उपायुक्त सोनीपत से स्वीकृति लेकर 22 एकड़ भूमि ग्राम पंचायत ने गौशाला को प्रदान की है । आस-पास के गांववासियों से फसलों पर भूसा तथा अन्न इकटठा किया जाता है। जाखोली की स्थानीय गठित कमेटी श्री ब्रहमस्वरूप जी की अध्यक्षता में गौशाला की देखभाल करती है। आजकल इस गौशाला में 400 के लगभग गौएं है।
गावों में अग्रत: पान्तु गावों में पान्तु पृष्ठत: ।।